यूक्रेन पर रूस के हमले को तीन साल हो गए हैं. इन तीन सालों में अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस का बहिष्कार किया और उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का दोषी माना. मगर जबसे अमेरिका में सरकार बदली है और राष्ट्रपति की कुर्सी डोनाल्ड ट्रंप ने संभाली है, रूस को लेकर रूख में नरमी आई है.
इसका अंदाजा लगाने के लिए ट्रंप के बयान ही काफी है. उन्होंने हाल ही में कहा कि रूस ने नहीं, बल्कि यूक्रेन ने युद्ध शुरू किया. उन्होंने ज़ेलेंस्की को ‘तानाशाह’ कहा और पुतिन पर नरमी दिखाई. ट्रंप की विदेश नीति से यूरोप में बेचैनी बढ़ी है, लेकिन दक्षिणपंथी गुटों में उत्साह भी देखा जा रहा है.
कैसे रहे हैं रिश्ते
हालांकि, ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं हैं जिन्होंने रूस से दोस्ती की कोशिश की. बराक ओबामा और उनकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने रिश्तों को रीसेट करने की पहल की थी, लेकिन 2014 में जब पुतिन ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया, तो यह पहल धरी की धरी रह गई.
अमेरिका-रूस के रिश्ते हमेशा से ही सहयोग और टकराव के बीच झूलते रहे हैं. 1990 के दशक में जब सोवियत संघ बिखर गया, तो अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर और रूसी नेता बोरिस येल्त्सिन ने दोस्ती की नई शुरुआत की. दोनों देशों ने एक-दूसरे को शत्रु न मानने की घोषणा की, परमाणु हथियारों में कटौती की, और व्यापारिक संबंधों को मजबूत किया. 1994 में रूस NATO के Partnership for Peace कार्यक्रम में शामिल हुआ, और 1997 में दोनों ने एक समझौता किया कि वे अब एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं. लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं टिकी. 1999 में NATO के पूर्वी विस्तार और पुतिन के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही रिश्तों में ठंडक लौट आई.
पुतिन के सत्ता में आने के बाद अमेरिका-रूस संबंधों में बदलाव
2000 में जब व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने, तो शुरुआत में अमेरिका के साथ संबंध सकारात्मक दिखे. मॉस्को समिट में उन्होंने और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने हथियारों में कटौती और सामरिक स्थिरता पर सहमति जताई, लेकिन 2001 में सत्ता में आए जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के कार्यकाल में रिश्ते जटिल हो गए. बुश और पुतिन की शुरुआती मुलाकातों में व्यापार और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की बात हुई, लेकिन जल्द ही मतभेद उभरने लगे। 9/11 के बाद रूस ने अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का समर्थन किया और दोनों देशों ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहयोग किया.
नाराजगी क्यों बढ़ी
2002 में Treaty of Moscow पर हस्ताक्षर हुए, जिससे दोनों देशों के परमाणु हथियारों की संख्या घटाई गई, और NATO-रूस काउंसिल की स्थापना हुई. लेकिन अमेरिका की मिसाइल डिफेंस रणनीति और NATO विस्तार को लेकर रूस नाराज़ था. 2006 में बुश और पुतिन ने परमाणु आतंकवाद से निपटने के लिए Global Initiative to Combat Nuclear Terrorism की घोषणा की, लेकिन तब तक दोनों देशों के रिश्ते में दरारें साफ दिखने लगी थीं.
इतिहास बताता है, रिश्ते कभी स्थायी नहीं रहे
आज जब ट्रंप रूस को लेकर नए बयान दे रहे हैं, तो यह समझना ज़रूरी है कि अमेरिका-रूस के रिश्ते हमेशा ही दोस्ती और टकराव के बीच झूलते रहे हैं. हर अमेरिकी राष्ट्रपति ने मॉस्को से संबंध सुधारने की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक, सामरिक और वैचारिक मतभेदों ने इसे मुश्किल बना दिया. चाहे शीत युद्ध का दौर हो, पुतिन का उभार हो, या फिर यूक्रेन युद्ध—हर मोड़ पर इन रिश्तों की दिशा बदलती रही है.